भारत और कश्मीर

मै अपने घर मे बिछी वो कश्मीरी कालीन , घाटी के हालात बंया करते अखबारो को देखता हू  तो महसूस करता हू उन कश्मीरी बादियो को,उन केसर की क्यारियो को।
आतंक से जूझते कश्मीर को।
उन मेहनतकश हाथो को और उन तहजीबी आंखो को, उस
अमन को जो ख्वाहिश है लोगो की।
पर पता नही क्या हो गया है अमन जैसे कही खो गया है उन फतवो के शोर मे या साझेदार बन बैठा है आतंकी आकाओ के खूनी खेल मे।
क्या ये वही कश्मीर है जो कभी धरती का स्वर्ग बताया  जाता था?
क्या ये धरती लाल केसर की क्यारी से है या अपने ही फौजी बेटो लहू के फव्वारो से?
ये वही कश्मीर है जिसे जन्नत कहते थे हम पर आज वो खुद एक जन्नत ढूंढने निकल पड़ी हैं।
क्या कश्मीर के लोगो के सपने इतने कमजोर पड़ गये है जो फतवो के डर से दब जाते है , या आतंकी हाथो मे बिक जाते है। क्या उनकी आँखे इतनी कमजोर है कि सच नही देख पा रही है उन अलगाववादियो का ,उन नेताओ का जो खुद को आपका हमदर्द कहते है।
क्या वाकई मे युवा इतना कमजोर हो चुका है जो कलम की बजाय बन्दूक और किताब की बजाय पत्थर उठाता है।
आज मै उस कश्मीर को मुर्दो की घाटी कहूँ या वो शौर्य की भूमि जिसका भारत के वीर बेटो के खून से अभिषेक हुआ हो।
कश्मीर हमारा हिस्सा है और खूनी होली के बाद भी हम उससे प्यार करते है पर पता नही क्यू वो बागी बनना चाहता है।
वो मोहब्बत बांटना चाहता है पर पाकिस्तान से।
मेरे प्यारे कश्मीर के लोगो जाकर पूछो गिलगित -बालटिस्तान के लोगो से पूछो कि पाकिस्तान कैसा है।
पाकिस्तान का बेमानी चेहरा छुपाता नकाब अलगाववादी नेताओ की साजिश है आपके खिलाफ, आपके भविष्य के खिलाफ, आपके देश के खिलाफ।
धारा 370 पर आपको डराना साजिशन है क्योकि कोई आपके  तो कोई आपके देश के बोट चाहता है।
कोई आपको डरा कर तो कोई लड़ा कर तोड़ना चाहता है।
और आप खुश होकर साथ देते है उन हुर्रियत नेताओ का ।
हाल  ही  मे आई  रिपोर्ट  के अनुसार -
  "कश्मीरी बच्चो का भविष्य खतरे मे डालने वालो के बच्चे विदेश मे संवार रहे है अपना भविष्य " 


कुछ लोग नही चाहते है कि  कश्मीर की समस्या का समाधान हो  क्योंकि वो किसी के लिए सत्ता की चाबी है तो किसी के लिए  साजिशो का  भंडार है  तय आपको करना होगा कि देश का साथ देना है या उन चंद लोगो का जो खुद की  जी॰डी॰पी 
(अर्थव्यवस्था) सुधारने के  लिए  भैंसे ,गधे  बेच रहे है वो आपको क्या नया भविष्य देगे ।

आज उन मासूमो के चेहरे देखकर लगता  कि वो सपने देखना चाहते पर भूल चुके है अमन को शांति को  बस मोहरा बनकर रह गये है कश्मीर की  तरह ।

ये आइना है अलगाववादियो की साजिशो का,बेरोजगार कश्मीर का,टूटते सपनो का,डूबते भविष्य का,सियासी चालो का, ये कश्मीर है,
                    जन्नत है,
                                 जान है,
                                              पर बनता श्मशान भी है।
ये मासूमो का चेहरा न कहते हुए भी साजिशन टूटते स्कूलो का दर्द बंया करता,घाटी के हालात बंया करता है।

आज देश मे  देश को तोड़ने की साजिशे हो रही है 
 कही हिन्दू ~मुसलमान के नाम पर ,कही हिन्दी ~हिन्दुस्तान   के नाम पर तो कही अयोध्या ~कश्मीर के नाम पर ।
 पर कमबख्त लोग कहते है कि बदलाव की हवा चल रही है 
                         देश  मे।

           
             भारत का अखंड हिस्सा हू मै
     नाकि सुलगते पाकिस्तान का मरहूम किस्सा 
         मै उन अनसुलझे सवालो का जवाब                                                     हू
             चीखते जख्मो का हिसाब हू
                              मै
               न किस्सा हू मोहब्बत का 
              न हिस्सा हू जिस्मो-जाँ का
                  मै तो रूह हू भारत की 

                   न तार हू न अखबार हू
                       मै तो आवाज हू 
                      न जंग हू  न जागीर 
                      न द्वेष हू  न तकदीर 
      बस बदलती खबरो का सियासी मोहरा हू
                                  मै
                  कश्मीर हू , मै कश्मीर हू।।


                             मै भारत हू 

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